अगर इन सवालों का जवाब हां है, तो आप से एक और सवाल. आप ने दुनिया की सबसे ख़तरनाक सड़क पर सफ़र तय किया है ?
अगर, नहीं तो चलिए आप को ले चलते हैं दुनिया की सबसे मुश्किल रोड ट्रिप पर.
मध्य एशिया का पामीर हाइवे दुनिया की सबसे मुश्किल हाइवे कहा जाता है. ये हाइवे किर्गिजिस्तान के ओश शहर से ताजिकिस्तान के दुशाम्बे तक जाता है.
1200 किलोमीटर लंबा ये हाइवे दुनिया का सबसे दुर्गम रास्ता माना जाता है.
ये सड़क बेहद सुनसान, जंगली और वीरान पहाड़ियों से होते हुए गुज़रती है. इस दौरान कई बार ये रेगिस्तान से भी होकर जाती है और कई बार भयंकर खाई को चूमती हुई आगे बढ़ती है.
कई जगह पर ये सड़क क़रीब चार हज़ार मीटर की ऊंचाई से भी होती हुई जाती है. कहा जाता है कि ये सड़क स्नो लेपर्ड और मार्को-पोलो नस्ल की भेड़ों से ज़्यादा आबाद है बनिस्बत इंसानों के.
सफ़र बाम-ए-दुनिया का
पामीर के पहाड़ को बाम-ए-दुनिया या दुनिया की छत कहा जाता है. क्योंकि ये पहाड़ सात हज़ार मीटर ऊंचे हैं. ऊंचाई की बात करें तो केवल हिमालय, हिंदूकुश और कराकोरम के पहाड़ ही पामीर से ऊंचे हैं.
इन्हीं वीरान, ऊसर, बर्फ़ीले और जंगली पहाड़ों से होकर गुज़रता है पामीर हाइवे. ये सड़क ज़लज़ले, चट्टानें खिसकने और दूसरी क़ुदरती आफ़तों से दो-चार होने वाले इलाक़े से गुज़रती है.
कहा जाता है कि किसी भी ड्राइवर के लिए ये सबसे चुनौतीभरे सफ़र की राह है. और यही इस सड़क में दिलचस्पी की बड़ी वजह है. ख़तरों से खेलने के शौक़ीन बाइखर्स, कार रेसर और जोखिम मोल लेने वाले तमाम लोग पामीर हाइवे से गुज़रना पसंद करते हैं.
पहाड़ों के बीच से ये सड़क रूसी साम्राज्य के विस्तार के दौरान बनाई गई थी. उस वक़्त ब्रिटेन और रूस की ज़ारशाही के बीच द ग्रेट गेम छिड़ा हुआ था. जिसके तहत मध्य एशिया पर कब्ज़े की रेस चल रही थी.
ये सड़क कई जगह ऐतिहासिक सिल्क रोड रास्ते का भी हिस्सा बनती है. आप इस हाइवे से गुज़रते हुए पथरीले पहाड़ों पर बने क़िलों के खंडहर अभी भी देख सकते हैं.
इन क़िलों को उस दौर में कारोबार को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था. चट्टानों, बालू और धूल भरे इस रास्ते पर कई जगह सड़क पूरी तरह गुम हो जाती है और केवल कच्चा रास्ता ही आप का साथी बचता है.
पामीर हाइवे का एक बड़ा हिस्सा पंज नदी के साथ-साथ वख़ान कॉरिडोर से गुज़रता है. उफ़नती पंज नदी डराती भी है और रास्ता भी बताती है.
पंज नदी असल में अफ़ग़ानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच की सीमा बनाती है. इसके किनारे इस्माइलीय मुसलमानों के क़बीले आबाद हैं.
पंज नदी के साथ चलते बाइकर्स और कार सवार लोगों को अक्सर मुश्किल पगडंडियों, वीरान पहाड़ियों और ख़ौफ़ दिलाती लहरों के साए में सफ़र तय करना पड़ता है.
अगर, नहीं तो चलिए आप को ले चलते हैं दुनिया की सबसे मुश्किल रोड ट्रिप पर.
मध्य एशिया का पामीर हाइवे दुनिया की सबसे मुश्किल हाइवे कहा जाता है. ये हाइवे किर्गिजिस्तान के ओश शहर से ताजिकिस्तान के दुशाम्बे तक जाता है.
1200 किलोमीटर लंबा ये हाइवे दुनिया का सबसे दुर्गम रास्ता माना जाता है.
ये सड़क बेहद सुनसान, जंगली और वीरान पहाड़ियों से होते हुए गुज़रती है. इस दौरान कई बार ये रेगिस्तान से भी होकर जाती है और कई बार भयंकर खाई को चूमती हुई आगे बढ़ती है.
कई जगह पर ये सड़क क़रीब चार हज़ार मीटर की ऊंचाई से भी होती हुई जाती है. कहा जाता है कि ये सड़क स्नो लेपर्ड और मार्को-पोलो नस्ल की भेड़ों से ज़्यादा आबाद है बनिस्बत इंसानों के.
सफ़र बाम-ए-दुनिया का
पामीर के पहाड़ को बाम-ए-दुनिया या दुनिया की छत कहा जाता है. क्योंकि ये पहाड़ सात हज़ार मीटर ऊंचे हैं. ऊंचाई की बात करें तो केवल हिमालय, हिंदूकुश और कराकोरम के पहाड़ ही पामीर से ऊंचे हैं.
इन्हीं वीरान, ऊसर, बर्फ़ीले और जंगली पहाड़ों से होकर गुज़रता है पामीर हाइवे. ये सड़क ज़लज़ले, चट्टानें खिसकने और दूसरी क़ुदरती आफ़तों से दो-चार होने वाले इलाक़े से गुज़रती है.
कहा जाता है कि किसी भी ड्राइवर के लिए ये सबसे चुनौतीभरे सफ़र की राह है. और यही इस सड़क में दिलचस्पी की बड़ी वजह है. ख़तरों से खेलने के शौक़ीन बाइखर्स, कार रेसर और जोखिम मोल लेने वाले तमाम लोग पामीर हाइवे से गुज़रना पसंद करते हैं.
पहाड़ों के बीच से ये सड़क रूसी साम्राज्य के विस्तार के दौरान बनाई गई थी. उस वक़्त ब्रिटेन और रूस की ज़ारशाही के बीच द ग्रेट गेम छिड़ा हुआ था. जिसके तहत मध्य एशिया पर कब्ज़े की रेस चल रही थी.
ये सड़क कई जगह ऐतिहासिक सिल्क रोड रास्ते का भी हिस्सा बनती है. आप इस हाइवे से गुज़रते हुए पथरीले पहाड़ों पर बने क़िलों के खंडहर अभी भी देख सकते हैं.
इन क़िलों को उस दौर में कारोबार को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था. चट्टानों, बालू और धूल भरे इस रास्ते पर कई जगह सड़क पूरी तरह गुम हो जाती है और केवल कच्चा रास्ता ही आप का साथी बचता है.
पामीर हाइवे का एक बड़ा हिस्सा पंज नदी के साथ-साथ वख़ान कॉरिडोर से गुज़रता है. उफ़नती पंज नदी डराती भी है और रास्ता भी बताती है.
पंज नदी असल में अफ़ग़ानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच की सीमा बनाती है. इसके किनारे इस्माइलीय मुसलमानों के क़बीले आबाद हैं.
पंज नदी के साथ चलते बाइकर्स और कार सवार लोगों को अक्सर मुश्किल पगडंडियों, वीरान पहाड़ियों और ख़ौफ़ दिलाती लहरों के साए में सफ़र तय करना पड़ता है.
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