सीन-1 ''गुजरात बनाने का मतलब क्या होता है पता है नेताजी... गुजरात बनाने का मतलब होता है 24 घंटे बिजली... हर गांव में बिजली...नेताजी जी आपकी हैसियत नहीं है... गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए.''
सीन-2 ''कांग्रेस पार्टी को सत्ता का नशा हो गया है. कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. ऐसी कांग्रेस को सज़ा मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए… कांग्रेस को छोटी-मोटी सज़ा नहीं, देश बचाने के लिए हमें कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए...''
यह एक सुपरहिट फ़िल्म के कुछ बेहतरीन डायलॉग लगते हैं. जिसे देश की जनता ने साल 2014 में जमकर पसंद किया और दिल खोलकर अपना प्यार लुटाया.
इस फ़िल्म के नायक थे नरेंद्र मोदी. जिन्होंने अपने भाषणों से ऐसा समां बांधा कि लोग उनके दीवाने हो गए. लगने लगा कि भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और महंगाई से त्रस्त जनता को बचाने के लिए 'मोदी' नाम का मसीहा आ गया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में हिंदुस्तान की जनता ने मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को 282 सीटें दीं. मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए.
इसके बाद हुए कई विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी एक के बाद एक जीत दर्ज करती चली गई. जीत के रथ पर सवार यह मोदी पार्ट-1 था.
कांग्रेस मुक्त भारत से मेरा मतलब किसी पार्टी को देश में समाप्त करना नहीं है. कांग्रेस एक सोच है, एक विचारधारा है, जिसमें परिवारवाद, भाई-भतीजावाद भरा है. मैं इस सोच को ख़त्म करने की बात करता हूं. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के भीतर से भी यह कांग्रेस ख़त्म हो जाए.''
वक़्त का पहिया चलता गया और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के तौर पर पांचवे साल में प्रवेश कर गए. यानी साल 2019, जब वे एक बार फिर जनता के सामने खड़ें होंगे. लेकिन इस बार किसी उम्मीदवार के तौर पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के तौर पर.
साल के पहले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने क़रीब 95 मिनट लंबा एक साक्षात्कार दिया. वाक् कौशल में ठीक समझे जाने वाले मोदी आमतौर पर मीडिया या प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी बनाने के लिए भी जाने जाते हैं.
फिर ऐसा क्या हुआ कि वे साल के पहले दिन मीडिया के सामने हाज़िर हुए और उन तमाम मुद्दों पर बोलने लगे जो उनके कार्यकाल के दौरान उठते रहे हैं.
इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार और बीजेपी की राजनीति पर गहरी नज़र रखने वाले प्रदीप सिंह कहते हैं कि यह साक्षात्कार असल में मोदी का एक नया वर्जन जनता के सामने लेकर आता है.
वे कहते हैं, ''देश में किन मुद्दों पर चर्चा होगी आमतौर पर इसे बीजेपी या ख़ुद मोदी तय करते थे और फिर कांग्रेस उसे पीछे से लपकने की कोशिश करती थी लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से ही मोदी को लगने लगा था कि देश का माहौल और मुद्दा उनके हाथों से छिटकने लगा है.''
प्रदीप सिंह कहते हैं, ''पिछले महीने तीन बड़े राज्य हारने के बाद मोदी को यह एहसास हो गया कि अब कांग्रेस देश का नैरेटिव सेट कर रही है और बीजेपी उसके अनुसार रणनीतियां बना रही है. यही वजह है कि नए साल के पहले दिन वे हाज़िर हो गए. यह बताने के लिए कि इस चुनावी साल में देश का मूड मोदी ही तय करेंगे.''
सीन-2 ''कांग्रेस पार्टी को सत्ता का नशा हो गया है. कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. ऐसी कांग्रेस को सज़ा मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए… कांग्रेस को छोटी-मोटी सज़ा नहीं, देश बचाने के लिए हमें कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए...''
यह एक सुपरहिट फ़िल्म के कुछ बेहतरीन डायलॉग लगते हैं. जिसे देश की जनता ने साल 2014 में जमकर पसंद किया और दिल खोलकर अपना प्यार लुटाया.
इस फ़िल्म के नायक थे नरेंद्र मोदी. जिन्होंने अपने भाषणों से ऐसा समां बांधा कि लोग उनके दीवाने हो गए. लगने लगा कि भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और महंगाई से त्रस्त जनता को बचाने के लिए 'मोदी' नाम का मसीहा आ गया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में हिंदुस्तान की जनता ने मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को 282 सीटें दीं. मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए.
इसके बाद हुए कई विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी एक के बाद एक जीत दर्ज करती चली गई. जीत के रथ पर सवार यह मोदी पार्ट-1 था.
कांग्रेस मुक्त भारत से मेरा मतलब किसी पार्टी को देश में समाप्त करना नहीं है. कांग्रेस एक सोच है, एक विचारधारा है, जिसमें परिवारवाद, भाई-भतीजावाद भरा है. मैं इस सोच को ख़त्म करने की बात करता हूं. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के भीतर से भी यह कांग्रेस ख़त्म हो जाए.''
वक़्त का पहिया चलता गया और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के तौर पर पांचवे साल में प्रवेश कर गए. यानी साल 2019, जब वे एक बार फिर जनता के सामने खड़ें होंगे. लेकिन इस बार किसी उम्मीदवार के तौर पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के तौर पर.
साल के पहले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने क़रीब 95 मिनट लंबा एक साक्षात्कार दिया. वाक् कौशल में ठीक समझे जाने वाले मोदी आमतौर पर मीडिया या प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी बनाने के लिए भी जाने जाते हैं.
फिर ऐसा क्या हुआ कि वे साल के पहले दिन मीडिया के सामने हाज़िर हुए और उन तमाम मुद्दों पर बोलने लगे जो उनके कार्यकाल के दौरान उठते रहे हैं.
इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार और बीजेपी की राजनीति पर गहरी नज़र रखने वाले प्रदीप सिंह कहते हैं कि यह साक्षात्कार असल में मोदी का एक नया वर्जन जनता के सामने लेकर आता है.
वे कहते हैं, ''देश में किन मुद्दों पर चर्चा होगी आमतौर पर इसे बीजेपी या ख़ुद मोदी तय करते थे और फिर कांग्रेस उसे पीछे से लपकने की कोशिश करती थी लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से ही मोदी को लगने लगा था कि देश का माहौल और मुद्दा उनके हाथों से छिटकने लगा है.''
प्रदीप सिंह कहते हैं, ''पिछले महीने तीन बड़े राज्य हारने के बाद मोदी को यह एहसास हो गया कि अब कांग्रेस देश का नैरेटिव सेट कर रही है और बीजेपी उसके अनुसार रणनीतियां बना रही है. यही वजह है कि नए साल के पहले दिन वे हाज़िर हो गए. यह बताने के लिए कि इस चुनावी साल में देश का मूड मोदी ही तय करेंगे.''
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